TOP LATEST FIVE BAGLAMUKHI SADHNA URBAN NEWS

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 गर्माओ के दिन थे उसकी छोटी बहन को काम करते हुए अटैक आ गया जिसके कारन उसकी मोके पर मौत हो गई । इस लिए वो यह काम नहीं करना चाहता था तो उसका सपना फौजी बनने का था । मैं हमेशां उसको खाने के लिए कुछ न कुछ जरूर देता था इस लिए वो मेरे दोस्त बन गया था । मेरे दोस्त उससे जलते थे । कुछ समय बाद स्कूल ख़तम हो गया । तो बहुत टाइम बाद मैंने रमेश को किसी के घर में काम करते देखा तो मैंने उससे पूछा के तुम तो फौज में जाने वाले थे तुम्हारा किया हुआ तुम्हे नौकरी नहीं मिली । महामारी और दुश्मनों पर विजय के लिए की जाती है बगलामुखी माता की पूजा

- साधना अकेले में, मंदिर में, हिमालय पर या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर की जानी चाहिए।

वेद में तन्त्र-शास्त्र – प्रसिद्ध बगला-पद ‘वलगा’-इस व्यत्यय नाम से कहा जाता है ।

कर्ज मनुष्य की सबसे बड़ी समस्या है। कर्ज से मुक्ति अर्थात अपमान से मुक्ति। जब कर्ज कष्ट बन जाए तब माँ बगलामुखी उन लोगों की अति सहायता करती है जो धन, व्यापार और वित्त बाधाओं के कारण कर्ज में डूबे हुए हैं। माँ कर्ज मुक्ति व धन वृद्धि मे सहायक हैं।

परिक्रमा के उपरांत मंत्रपुष्प-उच्चारण कर, देवी को अक्षत अर्पित करें। फिर पूजा में हमसे हुई ज्ञात-अज्ञात चूकों तथा त्रुटियों के लिए अंत में देवी से क्षमा मांगें और पूजा का समापन करें। अंत में विभूति लगाएं, तीर्थ प्राशन करें और प्रसाद ग्रहण करें।

मुसलमानी अमल – मुसलमानी कलमा – धन दौलत प्रपात करने के…

Nowadays we're going to inform you about detailed introduction to performing the Baglamukhi puja at your home.

रात्रि ११ बजे मंगलाचरण के साथ check here द्वार खोल। देवी स्तुति, गान, पश्चात अस्टोत्री पाठ कथा, जप प्रयोग, हवन सुबह ४ बज, देवी अभिषेक, वस्त्राभूषण, षोडशोपचार पूजन, ध्वज चढ़ाने के पश्चात देवी आरती।

Baglamukhi Puja is a strong Hindu ritual that is understood to be highly efficient in getting rid of hurdles and

Vishnu manifested as Mohini, an unparalleled beauty, in order to catch the attention of and ruin Bhasmasur an invincible demon.

प्रथम उपचार: देवी को गंध (चंदन) लगाना तथा हलदी-कुमकुम चढाना

इंद्रजाल मोहिनी मंत्र

ऊ. महाभिषेक के उपरांत पुन: आचमन के लिए ताम्रपात्र में जल छोड़ें तथा देवी की प्रतिमा को पोंछकर रखें ।

जो साधक अपने इष्ट देवता का निष्काम भाव से अर्चन करता है और लगातार उसके मंत्र का जप करता हुआ उसी का चिन्तन करता रहता है, तो उसके जितने भी सांसारिक कार्य हैं उन सबका भार मां स्वयं ही उठाती हैं और अन्ततः मोक्ष भी प्रदान करती हैं। यदि आप उनसे पुत्रवत् प्रेम करते हैं तो वे मां के रूप में वात्सल्यमयी होकर आपकी प्रत्येक कामना को उसी प्रकार पूर्ण करती हैं जिस प्रकार एक गाय अपने बछड़े के मोह में कुछ भी करने को तत्पर हो जाती है। अतः सभी साधकों को मेरा निर्देष भी है और उनको परामर्ष भी कि वे साधना चाहे जो भी करें, निष्काम भाव से करें। निष्काम भाव वाले साधक को कभी भी महाभय नहीं सताता। ऐसे साधक के समस्त सांसारिक और पारलौकिक समस्त कार्य स्वयं ही सिद्ध होने लगते हैं उसकी कोई भी किसी भी प्रकार की अभिलाषा अपूर्ण नहीं रहती ।

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